

बिलासपुर। कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर कोटा विकासखण्ड के ग्राम मनपहरी की खसरा नंबर 55 की 26 एकड़ शासकीय भूमि का विवाद आखिरकार कोटा एसडीएम नितिन तिवारी और नायब तहसीलदार राकेश सिंह ठाकुर की सटीक जांच और आदेशों से सुलझ गया।
आपको बता दें कि यह भूमि, जो बड़े झाड़ के जंगल के मद में दर्ज थी, जिसमें कुट रचना और अवैध खसरा विभाजन के आरोपों की वजह से वर्षों से विवादित था।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब बिलासपुर निवासी सतपाल सिंह भारदाजा ने शिकायत दर्ज कराई थी कि कोटा तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम मनपहरी की शासकीय भूमि के राजस्व दस्तावेजों में कुट रचना की गई है। जांच में तत्कालीन पटवारी और राजस्व अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। जिसमें
जांच में सामने आया सच
जांच रिपोर्ट के अनुसार, खसरा नंबर 55, जो पहले 81.51 एकड़ बड़े झाड़ के जंगल के मद में दर्ज था, जो रकबा बढ़कर 108 एकड़ हो गया था। इस भूमि को 36 टुकड़ों में बांटकर नए खसरों का निर्माण किया गया। इसमें 2019-21 के दौरान, इन खसरों को रिकॉर्ड में दर्ज किया गया, जबकि बी-1 पंजी में इस बदलाव का कोई उल्लेख 2018-19 तक नहीं था।
तत्कालीन पटवारी रवि केशर की रिपोर्ट ने पुष्टि की कि यह भूमि मिसल बंदोबस्त और निस्तार पत्रक में बड़े झाड़ के जंगल के मद में थी। जांच में यह भी पाया गया कि 7 नए खसरों का निर्माण कर उन्हें निजी नामों में दर्ज किया गया। इन नए खसरों में कुल 26 एकड़ भूमि शामिल थी, जो अब बड़े झाड़ के जंगल के मद में पुनः दर्ज की गई है।
महत्वपूर्ण आदेश और कार्रवाई कोटा
एसडीएम नितिन तिवारी ने 25 जून 2025 को नायब तहसीलदार राकेश सिंह ठाकुर के प्रस्ताव को अनुमोदित किया। इसके तहत खसरा नंबर 55/30 से 55/36 तक की 26 एकड़ भूमि को पुनः बड़े झाड़ के जंगल के मद में दर्ज करने का आदेश जारी किया गया।
इन खसरों में शामिल भूमि का विवरण इस प्रकार है:
खसरा नंबर 55/30: सुमनदास पिता रतनदास, रकबा 5 एकड़
खसरा नंबर 55/31: चंद्रपाल नेताम पिता कृपाराम, रकबा 1 एकड़
खसरा नंबर 55/32 – 55/36: सतीश सिंह पिता रामेश्वर, कुल रकबा 20 एकड़
अधिकारियों की सटीक कार्यवाही
इस प्रकरण में एसडीएम नितिन तिवारी की पारदर्शी नेतृत्व और नायब तहसीलदार राकेश सिंह ठाकुर की सक्रियता क्षमता की सराहना की जा रही है। उनके प्रयासों से न केवल शासकीय भूमि को पुनः राजस्व रिकॉर्ड में सही रूप में दर्ज किया गया, बल्कि अवैध खसरा निर्माण पर भी रोक लगाई गई।
भविष्य के लिए सख्त संदेश
यह प्रकरण प्रशासन की सतर्कता और पारदर्शिता का उदाहरण बन गया है। इस कार्रवाई से राजस्व विभाग में जिम्मेदारी और ईमानदारी सुनिश्चित करने का एक सशक्त संदेश दिया गया है।
-नायब तहसीलदार राकेश सिंह ठाकुर-
“हमने सभी पक्षों की सुनवाई और दस्तावेजों की गहन जांच के बाद यह निर्णय लिया है। शासकीय भूमि पर किसी भी तरह के अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
-एसडीएम नितिन तिवारी-
“यह कार्रवाई प्रशासन की जिम्मेदारी और निष्पक्षता का प्रमाण है। हम भविष्य में भी इसी सख्ती से शासकीय भूमि की रक्षा करेंगे।”
समाप्त हुआ विवाद, नस्तीबद्ध हुई फाइल
इस आदेश के साथ ही प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया गया है और विवाद समाप्त हो गया है। यह कार्रवाई प्रशासन की तत्परता और निष्पक्षता को दर्शाती है, जो भविष्य में भी शासकीय भूमि की सुरक्षा के लिए मिसाल बनेगी।