बिलासपुर ( गौरेला, पेन्ड्रा, मरवाही )। छत्तीसगढ़ राज्य के नवीन जिला में इन दिनों खनिज विभाग की भारी लापरवाही एवं मेहरबानी के चलते अंतर्राज्यीय रेत माफियाओं के लिए अब यहां चारागाह बना चुका है।
जहां पर आदिवासी विकासखंड का अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र सोन नदी के पवित्र लहरों को स्पर्श करते हुए आदिवासी परंपरा और संस्कृति आत्मसात करते हुए शांति पूर्ण विकास की धारा में बहने का प्रयास कर रही है।
आपको बता दें कि जिस किसी बाहरी को यह आदिवासी क्षेत्र अतिथि जान देव बनाने का प्रयास करता है वही इस आदिवासी अंचल को दीमक की तरह चाटने में भिड़ जाता है और जो उनका साथ देता है संबंधित विभाग।
जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही प्रशासन द्वारा विकासखंड मरवाही में न तो किसी भी प्रकार रेत खदान आवंटित है और न ही भंडारण स्थल।
इसके बावजूद भी खनिज विभाग के निरीक्षक और अधिकारीगण धड़ल्ले से सीना तान के रेत माफिया के साथ मिल कर रोजाना सैकड़ों ट्रक रेत मध्यप्रदेश की ओर सप्लाई किया जा रहा है।
इस पर विषय पर कई बार खनिज निरीक्षक राजू यादव से फोन पर चर्चा कर अवैध रेत परिवहन कर अंकुश लगाने का आग्रह कर रेत माफिया का नाम सहित शिकायत की गई किंतु यादव साहब को तो याराना निभाना है।
खनिज निरीक्षक राजू यादव और रेत माफिया की मिली भगत की जानकारी नवपदस्थ खनिज अधिकारी श्रीमती सबीना मैडम को भी दी गई लोग भूल गए कि विभागीय अधिकारी अधिनस्थ का ही साथ देंगे। इस प्रकार
ग्राम सेखवा से लेकर करगी कला ,पीपरडोल,कुम्हारी, चिचगोहना मनौरा,धनौरा तथा लखनघाट व चगेरी तक का सोन क्षेत्र आदि जगहों में बड़े पैमाने पर रेत माफिया अपने गुर्गों सहित सक्रिय हो कर प्रकृति का दोहन कर रहे हैं और इस अनैतिक कार्य में स्वयं खनिज विभाग का भरपूर साथ देना दुर्भाग्यजनक है।
छत्तीसगढ़ के मुखिया विष्णु देव साय ने विधानसभा में प्रधानमंत्री आवास हेतु परिवहन किए जाने वाले रेत को छूट प्रदान किए जाने की घोषणा की है किंतु खनिज निरीक्षक राजू यादव जी ने लगातार कमाल करतें हुए ऐसे आवास कार्य हेतु रेत परिवहन गाड़ियों पर भी धड़ाधड़ कार्यवाही करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
कुछ महीने पहले 22 जनवरी को यादव जी आवास हेतु परिवहन कर रहे गाड़ियों को तो पकड़ कर केस बना दिया गया लेकिन लोगों की निशानदेही पर कई अवैध रेत भंडारण मौके पर ले जा कर दिखाया गया जिसकी वीडियोग्राफी और फोटो भी लोगों द्वारा बनाई गई है किंतु यादव जी ने मित्रता निभाई और मित्र पर कैसा केस कैसी कार्यवाही ।
रेत माफिया में बड़े चालाकी से रेत रॉयल्टी की पर्ची रतनपुर के रेत घाट का बनवाया है।
जब रेत रॉयल्टी पर्ची रतनपुर का है तो सीधे मध्यप्रदेश सप्लाई करने में क्या दिक्कत है उसका भंडारण मरवाही विकासखंड में कैसे, सब कुछ गोलमाल है।
सीधी बात है रेत उत्खनन तो मरवाही क्षेत्र से हो रहा है और रतनपुर की रेत रॉयल्टी पर्ची का सहारा लेकर किसे बेवकूफ बनाया जा रहा है यह समझ से परें है। बताया जाता है कि
खनिज विभाग के निरीक्षक और अधिकारीगण का मध्यप्रदेश और सीमावर्ती रेत माफियाओं से किस तरह क्षेत्र का दोहन हो रहा है यहां खूब चर्चा का विषय बना हुआ है।