बिलासपुर। पूरी घटना होली के दिन की है जहां विवेक चतुर्वेदी अपने अन्य दोस्तो के साथ सुशील कश्यप निवासी उसलापुर गीता पैलेस के घर के सामने होली मना रहे थे
तभी वहां से एक ब्लैक होंडा सिटी कार आईं जिसमें से दो आदमी निकल कर गाड़ी को किनारे लगाने के बात पे बहस हुईं और उतने में एक आदमी हाथ में बेस बॉल लेके विवेक को धक्का देकर गिरा दिया जब तक विवेक कुछ समझ पाते उनके बाकी साथियों ने भी विवेक और उनके अन्य साथियों से मार पिट चालू कर दिया
जब विवेक के दोस्तो ने खुल कर विरोध जताया तब होंडा कार के अंदर से किसी महिला की आवाज आई कि इन लोगों का पैर हाथ तोड दो बाकी थाने में मै सम्हाल लूंगी।
आखिर कौन थी वो महिला जिसके कहने पर वो लोग बेस बॉल, हाकी, स्टिक जैसे हथिरो से मार पिट कर विवेक को आपनी गाड़ी में बैठा कर अपहण का प्रयास कर रहें थे।
मामला थाने में पंहुचने के बाद उल्टा विवेक व उनके अन्य साथियों पर ही मारपीट की धारा लगाकर FIR दर्ज कर लिया गया।
वही विवेक चतुर्वेदी के कहने पर डॉ दुर्गेश सिंह राजपूत के खिलाफ FIR दर्ज करने के नाम पे उन्हें थाने से चलता कर दिया गया और आज घाटना को हुए तीन दिन बित गये विवेक की शिक़ायत दर्ज नहि की गईं।
कहते है ना अगर आप कोई अफसर नहि बन सकते तो किसे अफसर के रिश्तेदार बन जाइए आपको पूरी सुविधाए मिलेगी और जिस तरीके से पुलिस के द्वारा एक पक्छीय कार्यवाही की गई इसमे छत्तीसगढ पुलिस के आचरण को कटघरे में खड़ा करती है।